एक पल जीवन

एक पल जीवन


एक एक पल चलता जीवन

गिरता कभी संभलता जीवन

बस आगे को बढ़ता जीवन

फिर भी पीछे देखे ये मन।


एक एक पल मिल दिन बन जाए

एक ऋतु आए एक ऋतु जाए

जीवन पल छिन बढ़ता जाए

जाने किस पल जीवन छिन जाए।


पलक झपकते बीते एक पल

समय की नदिया बहती हर पल

सांसे चलती रहती हर पल

जीवन बस सांसों का एक पल।


एक पल गुजरा सुंदर बचपन

अगले पल फिर आया यौवन

अब के पल में हुआ सयाना

जाने किस पल होगा जाना।


पल पल सांसें गिनी चुनी हैं

ताना बाना खूब बुनी हैं

मानो खतम ना होंगे ये पल

कोई ना जाने क्या होगा अगले ही पल।


ये पल ना तुम व्यर्थ गंवाना

पल दो पल जरा ध्यान लगाना

बैर भाव को भूल ही जाना

आखिरी पल तुम ना पछताना।


एक पल रखना ज्ञान की खातिर

एक पल हो जो ध्यान की खातिर

एक पल जीव इंसान की खातिर

एक पल भगवत मान की खातिर।

आभार – नवीन पहल – ०५.०९.२०२३ 🙏🙏

# दैनिक प्रतियोगिता हेतु कविता 


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5 Comments

Mohammed urooj khan

06-Sep-2023 11:14 AM

लाजवाब 👌

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बेहतरीन अभिव्यक्ति और खूबसूरत भाव

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Khushbu

05-Sep-2023 11:08 PM

Nice one

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